हमारे शरीर में दिल सबसे महत्वपूर्ण अंगों में से एक है। यह लगातार धड़कता है और पूरे शरीर में खून पहुंचाता है। लेकिन अगर दिल की धड़कन में कोई गड़बड़ी हो, तो इसे पहचानने के लिए एक खास जांच की जाती है, जिसे ECG कहते हैं। इस लेख में हम सरल भाषा में समझेंगे कि ECG क्या होता है, यह कैसे काम करता है और इसे कैसे समझा जा सकता है।
ECG क्या होता है?
ECG का पूरा नाम है Electrocardiogram (इलेक्ट्रोकार्डियोग्राम)। यह एक ऐसी जांच है जो दिल की धड़कनों और उसकी विद्युत (इलेक्ट्रिकल) गतिविधियों को रिकॉर्ड करती है। जब दिल धड़कता है, तो वह हल्का-सा विद्युत संकेत (इलेक्ट्रिकल सिग्नल) बनाता है। ECG मशीन इन सिग्नलों को पकड़ती है और एक चार्ट पर रिकॉर्ड कर देती है।
इस चार्ट में ऊपर-नीचे जाती हुई लाइनें होती हैं, जिन्हें देखकर डॉक्टर यह समझ सकते हैं कि दिल की धड़कन सामान्य है या नहीं।
ECG कैसे किया जाता है?
ECG टेस्ट करवाना बहुत ही आसान, तेज़ और दर्द रहित प्रक्रिया है। इसमें मरीज को एक बिस्तर पर सीधा लिटाया जाता है। फिर शरीर के कुछ हिस्सों जैसे छाती, हाथों और पैरों पर छोटे-छोटे इलेक्ट्रोड्स (चिपकने वाले सर्कल) लगाए जाते हैं। ये इलेक्ट्रोड्स ECG मशीन से जुड़े होते हैं।
जैसे ही मशीन चालू की जाती है, यह दिल की गतिविधियों को पकड़कर उसे ग्राफ के रूप में प्रिंट कर देती है। पूरा टेस्ट सिर्फ 5 से 10 मिनट में हो जाता है।
ECG ग्राफ को कैसे समझें?
ECG ग्राफ को समझना थोड़ा तकनीकी हो सकता है, लेकिन कुछ बेसिक बातें हर कोई जान सकता है:
ECG लाइन में मुख्य रूप से 5 तरह की लहरें (waves) होती हैं:
- P wave – यह बताती है कि दिल के ऊपरी हिस्से (atria) ने धड़कन शुरू की है।
- QRS complex – यह दिल के निचले हिस्से (ventricles) की धड़कन को दिखाता है।
- T wave – यह दिखाती है कि दिल फिर से अगली धड़कन के लिए तैयार हो रहा है।
अगर ये सभी लहरें सही समय और सही आकार में हों, तो इसका मतलब दिल की धड़कन सामान्य है। लेकिन अगर इनमें कोई गड़बड़ी हो, जैसे बहुत तेज़ धड़कन (tachycardia), बहुत धीमी धड़कन (bradycardia), या अनियमित धड़कन (arrhythmia), तो यह दिल की समस्या का संकेत हो सकता है।
ECG क्यों करवाना चाहिए?
ECG कई कारणों से किया जाता है, जैसे:
- छाती में दर्द हो
- सांस लेने में तकलीफ हो
- बेहोशी या चक्कर आएं
- दिल की धड़कन असामान्य लगे
- पहले से हृदय रोग हो
- किसी सर्जरी से पहले जांच के लिए
ECG एक शुरुआती जांच होती है, जिससे डॉक्टर यह तय कर सकते हैं कि आगे और कौन-सी जांच करनी है।
ECG की रिपोर्ट कौन पढ़ता है?
ECG की रिपोर्ट डॉक्टर या कार्डियोलॉजिस्ट (हृदय रोग विशेषज्ञ) पढ़ते हैं। वे ग्राफ को देखकर यह बताते हैं कि दिल की धड़कन और कामकाज सही है या नहीं। कई बार ECG नॉर्मल होता है, लेकिन लक्षण फिर भी होते हैं। ऐसे में आगे की जांचें, जैसे ईकोकार्डियोग्राफी (Echo) या Stress Test भी की जाती हैं।
ECG एक आसान, सुरक्षित और सस्ती जांच है जो दिल की सेहत को समझने का पहला कदम है। अगर आपको अक्सर छाती में दर्द, थकान या धड़कन की समस्या होती है, तो ECG जरूर करवाना चाहिए। यह टेस्ट बहुत जल्दी और बिना किसी दर्द के हो जाता है और इससे कई गंभीर बीमारियों का पता समय पर लगाया जा सकता है।
दिल का ख्याल रखना ज़रूरी है, और ECG उसका सबसे आसान तरीका है।